बवासीर का इलाज, लक्षण-पूरी जानकारी ! Bawasir ke Masse, Piles Ka Ilaj
बवासीर (अर्श /पाइल्स /मूलव्याधि) का इलाज, लक्षण, देशी दवा, घरेलू उपचार/ दवा/ आहार/ कारण" सम्बंधित प्रश्नों का जवाब दिया जायेगा ।
नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें क्योंकि ये महत्त्वपूर्ण टिप्स है |
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बवासीर/अर्श /पाइल्स /मूलव्याधि -
आधुनिक युग की जीवनशैली में सब लोग शारीरिक काम कम करते है और मानसिक काम अधिक होता है।
- लगातार अधिक देर तक बैठे रहना भी बीमारियो को जन्म देता है , जिसमे से बवासीर एक ऐसा ही रोग है।
- इसके अलावा अनियमित खान-पान और कब्ज की वजह से भी बवासीर हो सकती है। इस बीमारी को अर्श, पाइलस या मूलव्याधि के नाम से भी जाना जाता है।
- इस रोग में गुदा की भीतरी दीवार में मौजूद खून की नसें सूजने के कारण तनकर फूल जाती हैं। इससे उनमें कमजोरी आ जाती है और मल त्याग के वक्त जोर लगाने से या कड़े मल के रगड़ खाने से खून की नसों में दरार पड़ जाती हैं और उसमें से खून बहने लगता है।
- यह रोग कई लोगो में अनुवांशिक कारणों की वजह से भी पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंच जाता है। यह बीमारी आधुनिक युग की ऐसी व्याधि है,जो गलत आदतो की वजह से जन्म लेती है।
- इस बीमारी में गुदा द्वार पर मस्से हो जाते है। मलत्याग के समय इन मस्सो में असहनीय पीड़ा होती है। यह बहुत अधिक पीड़ादायक रोग है।
- लगातार अधिक देर तक बैठे रहना भी बीमारियो को जन्म देता है , जिसमे से बवासीर एक ऐसा ही रोग है।
- इसके अलावा अनियमित खान-पान और कब्ज की वजह से भी बवासीर हो सकती है। इस बीमारी को अर्श, पाइलस या मूलव्याधि के नाम से भी जाना जाता है।
- इस रोग में गुदा की भीतरी दीवार में मौजूद खून की नसें सूजने के कारण तनकर फूल जाती हैं। इससे उनमें कमजोरी आ जाती है और मल त्याग के वक्त जोर लगाने से या कड़े मल के रगड़ खाने से खून की नसों में दरार पड़ जाती हैं और उसमें से खून बहने लगता है।
- यह रोग कई लोगो में अनुवांशिक कारणों की वजह से भी पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंच जाता है। यह बीमारी आधुनिक युग की ऐसी व्याधि है,जो गलत आदतो की वजह से जन्म लेती है।
- इस बीमारी में गुदा द्वार पर मस्से हो जाते है। मलत्याग के समय इन मस्सो में असहनीय पीड़ा होती है। यह बहुत अधिक पीड़ादायक रोग है।
कारण -
- लम्बे समय तक शौच को रोकने से बवासीर की समस्या जन्म लेने लगती है।
- जिसको हर रोज कब्ज की समस्या रहती है,उसे भी बवासीर होने का खतरा रहता है।
- भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी से भी बवासीर हो सकती है।
- अधिक मिर्च मसाले ,तले हुए व् जल्दी न पचने वाले भोजन भी इस समस्या को आमंत्रित करते है।
- अधिक दवाइयों का सेवन करने से और लगातार गरम चीजो के सेवन से भी बवासीर हो सकती है।
- गरम पानी से लगातार मलद्वार धोने से भी मस्सा फूल सकता है।
- पीढ़ी दर पीढ़ी और अनुवांशिक कारणों से भी बवासीर हो सकती है।
- रात को देर तक जागने से भी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- जिनको गुर्दो की बीमारी होती है,उनको भी जल्दी बवासीर हो सकती है।
- गर्भावस्था में भ्रूण का भार बढ़ने पर भी बवासीर हो जाती है
- लगातार खड़े रहने वाला रोजगार जैसे,कंडक्टर ,कुली आदि और लगातार बैठने वाले रोजगार वाले व्यक्तियों में भी यह समस्या ज्यादा पायी जाती है।
बवासीर और उसके प्रकार -
. यह दो तरह का होता है :
1. अंदरूनी बवासीर-
इसमें मलद्वार के अंदर मस्सा हो जाता है और साथ में कब्ज भी हो तो मलत्याग के समय जोर लगाने पर यह मस्सा छिल जाता है और मलद्वार से खून आने लगते है और असहनीय पीड़ा होती है।इसमें सूजन को छुआ नहीं जा सकता है, लेकिन इसे महसूस किया जा सकता है.
2. बाहरी बवासीर-
इसमें बाहर की तरफ मस्सा है और उसमे दर्द नही होता। परन्तु मलत्याग के समय मस्से पर रगड़ की वजह से बहुत अधिक खुजली व् पीड़ा होती है।इसमें सूजन को बाहर से महसूस किया जा सकता है।
बवासीर की अवस्थाएँ -
बवासीर रोग शुरू में परेशान नही करता। मगर जैसे जैसे रोग बढ़ता जाता है बवासीर रोग पीड़ादायक और असहनीय होता जाता है। बढ़ते क्रम में बवासीर की कुछ अवस्थाएँ निम्नलिखित है-
खूनी बवासीर -
खुनी बवासीर जैसा की नाम से ही पता चलता है इसमें खून निकलता है। इसमें किसी प्रक़ार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले मल में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है।मलत्याग के बाद अपने आप अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।
बादी बवासीर रहने पर कब्ज की वजह से पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, ददॅ, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है,इस रोग को फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अंग़जी में फिस्टुला कहते हें।भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।
लक्षण -
- मलद्वार के आसपास खुजली होना
- उठते बैठते व् चलते समय गुदा द्वार में दर्द होना
- मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
- मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन होना
- मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
- मलत्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि महसूस न होना
- मलत्याग के समय मस्सों का बाहर निकलना
- श्लैष्मिक द्रव का स्राव होना
- लम्बे समय तक कब्ज रहना
- भोजन सम्बन्धी आदतों में बदलाव – रेशेदार सब्जियों, सलाद व फलों का नित्य सेवन करें,क्योंकि रेशेदार सब्जियाँ कब्ज को खत्म कर देती है।
- पपीता,अंगूर और आम का सेवन अधिक से अधिक करे।
- बेंगन और आलू का प्रयोग न करे।
- यह रोग अधिकतर कब्ज की वजह से ही होता है। तेज मिर्च, मसालों का प्रयोग न करें। पानी ४-६ लीटर प्रतिदिन पियें। चाय, कॉफी का कम प्रयोग करें। इससे पेट ठीक रहेगा व कब्ज नहीं होगी।
- लगातार एक ही जगह पर बैठकर काम न करे।बीच बीच में टहलते रहे।
- मलत्याग के समय ज्यादा जोर न लगायें।
- यदि कब्ज हो तो रात में दूध के साथ मुनक्का व १-२ चम्मच इसबगोल की भूसी लें।
- मस्से में इंजेक्शन लगवाकर मस्से को अंदर ही अंदर सुखाया जा सकता है।
- यदि कोई समस्या हो तो किसी आयुर्वेद फिजीशियन या क्षारसूत्र विशेषज्ञ से मिलकर सलाह अवश्य लें।
उपचार/घरेलू नुस्खे -
- लस्सी में जीरा और अजवायन डालकर प्रतिदिन पीने से बवासीर जल्दी ठीक हो जाती है।
- खूनी बवासीर में खून को रोकने के लिए १० ग्राम काले तिल को मक्खन में मिलकर खाली पेट लेने से बवासीर एकदम ठीक हो जाती है।
- हर रोज दही खाने से भी बवासीर में फायदा होता है।
- आंवला का चूर्ण हर रोज लेने से पेट साफ रहता है,जिससे बवासीर होने की संभावना भी खत्म हो जाती है।
- जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- रात को 100 ग्राम किशमिश पानी में भिगों दें और इसे सुबह के समय में इसे उसी पानी में इसे मसल दें। इस पानी को रोजाना सेवन करने से कुछ ही दिनों में बवासीर रोग ठीक हो जाता है।
- जीरे को पीसकर मस्सों पर लगाने से फायदा होता है।