गर्भावस्था/ प्रसव के बाद देखभाल ! Garbhavastha ke Bad Dekhbhal kaise kare

गर्भावस्था/ प्रसव के बाद देखभाल-  योग, खान-पान/ भोजन, मासिक धर्म भी पहले की तरह सामान्य तरीके से कर सकते है।


गर्भावस्था के बाद का समय प्रसवोत्तर अवधि के रूप में जाना जाता है और यह एक स्त्री के जीवन में सबसे जरूरी चरणों में से एक है । इस चरण के दौरान अपने शरीर में कई बदलाव आएँगे। यह एक सामान्य जीवन शैली की ओऱ लौटने का क्रम है जो अपनी आवश्यकताओं को विकसित करता है ।

नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें क्योंकि ये महत्त्वपूर्ण टिप्स है |

वीडियो पूरा देखें (सब कुछ अंत तक देखें) Click Below Video- 







प्रसवोत्तर अवधि प्रजनन के समय के बाद शुरू होता है।  इन छह से आठ सप्ताह में, आप को बहुत अच्छी तरह से देखभाल करने की जरूरत है । 
सामान्य तौर पर एक नई माँ के रूप में आपको  नींद, आराम और अच्छा पोषण की बहुत आवश्यकता होगी ।

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प्रसव के बाद खान पान
-दूध पीएं
-विटामिन, प्रोटीन युक्त भोजन
- फल खाएं
- खाने के बाद ठंडा पानी सेहत के लिए नुकसानदेह है।


इसके साथ साथ एक नवजात शिशु  देखभाल की जिम्मेदारी भी आप पर  आ जाती है, इसलिए सबकुछ विचार कर अचे से योगना बनाने की जरुरत है।

इन दिनों के दौरान  देश के अलग- अलग  हिस्से के  आधार पर माँ  की देखभाल के लिए  भिन्न- भिन्न धारणाएँ  हो सकती है। लेकिन मोटे तौर पर , पहले 40 दिनों में  आप अपने नए बच्चे के साथ शक्ति और  स्वस्थ हो जाने  के लिए संघर्षरत होती है, इसे  एक कारावास अवधि के रूप में देखा जाता है।
यह 40 दिन काफी लंबा  समय लगना स्वाभाविक है। यह अवधि आपको  प्रतिबंधात्मक लगती है क्योंकि खाने पर और बाहर जाने इत्यादि  पर  प्रतिबन्ध लग जाते है।

प्रसव के बाद मासिक धर्म भी पहले की तरह साधारण तरीके से हो जाते है। 

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देखभाल के तरीके -
 प्रसव के बाद सबसे पहला सवाल यही खड़ा होता है कि क्या क्या किया जाना चाहिए और किस तरीके से देखभाल की जाये ,आपकी इसी समस्या का निवारण करने के लिए ये लेख जारी किया गया है। प्रसव के बाद की कुछ समस्याएं और देखभाल  इस प्रकार है-


योनि व्यधा -
प्रसव चूँकि योनि मार्ग से ही होता है तो घाव  स्वाभाविक है कि अभी आपको ठीक होने में समय लगेगा।  बैठने में भी काफी असुविधा महसूस होगी।  इसके अलावा आप जब भी बाथरूम के लिए जाए,  गरम पानी से योनि की सिकाई करना ना भूले।  संक्रमण से बचने के लिए डिटोल से योनि को साफ़ करके गरम पानी से धोये।  घाव और सूजन की वजह से असहनीय दर्द हो सकता है पर धीरे धीरे आप आराम महसूस करेगी।

योनि प्रवाहित होना -  
प्रसव के बाद एक सप्ताह या दो सप्ताह के लिए एक योनि स्राव ( जेर ) होगा। पहले कुछ दिनों के लिए रक्त की भारी प्रवाह की उम्मीद है। चमकदार लाल स्त्राव धीरे-धीरे पानी बनने और पीले या गुलाबी या भूरे रंग के स्त्राव में बदलना शुरू हो जायेगा।
आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करें यदि - - आपकी योनि से ज्यादा मात्रा में खून बह रहा हैं। - आपको 100.4 F या ( 38 C) बुखार है। 

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कब्ज-
प्रसव के बाद कब्ज हो जाना एक आम समस्या है,किन्तु योनि द्वार पर घाव की वजह से मल त्याग में जोर लगने पर असहनीय दर्द होता है। इसके लिए खास ध्यान रखा जाना चाहिए की कब्ज की समस्या ना हो। कब्ज को दूर रखने के लिए पपीता एक सरल और कारगर उपाय हैअधिक से अधिक मात्र में पपीते का सेवन करे, आपको कब्ज की समस्या बिलकुल नही होगी।

पूर्ण आराम -
प्रसव क्रिया बहुत ही पीड़ा दायक और थका देने वाली होती हैशरीर में काफी कमजोरी भी महसूस होने लगती है। जितना ज्यादा हो सके शरीर को पूर्ण रूप से आराम दे क्योकि स्वस्थ नींद आपके टूटे फूटे अंगो को जोड़ने में मदद करती है। शिशु की जिम्मेदारी के कारण नींद में बाधा भी होने लगती है, इसके लिए जब भी शिशु सोये आप भी नींद लेती रहे।

संकुचन- प्रसव के बाद पहले कुछ दिनों के दौरान कभी-कभी संकुचन हो सकता है। ये संकुचन अक्सर मासिक धर्म ऐंठन जैसे लगते हैं , जो गर्भाशय में रक्त वाहिकाओं को संपीड़ित करने से अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में मदद करते है। ये संकुचन लगातार गेंदों के साथ मजबूत हो जाते हैं। यदि आपको बुखार है तो आपके स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से संपर्क करें। इन संकेतों और लक्षणों से गर्भाशय के संक्रमण का संकेत मिलता है ।

मूत्राशय और मूत्रमार्ग पर सूजन या जलन -
मूत्राशय और मूत्रमार्ग पैर यदि सूजन महसूस होती है तो यह मूत्रपथ के संक्रमण के लक्षण हो सकते है। थोड़ी मात्रा में पासिंग गर्भावस्था और जन्म मूत्राशय के आधार पर संयोजी ऊतक खिंचाव और मूत्राशय या मूत्रमार्ग के लिए तंत्रिका और मांसपेशी नुकसान का कारण बन सकता है। इसके लिए आप गरम पानी में डेटॉल डालकर सफत करते रहे और डाक्टर से संपर्क करे। 

बवासीर और मल त्याग-
मल त्याग के दौरान दर्द और गुदा के पास सूजन लगता है तो आपको बवासीर हो सकता है। गुदा या मलाशय में घाव और नसों में सूजन से यह होता है । अपने स्वास्थ्य की देखभाल प्रदाता संपर्क करके आप दवाई की सिफारिश केर सकते है। इसमें मलत्याग के समय गुदा द्वार पैर जलन और पीड़ा महसूस होतीहै। फल, सब्जियों और साबुत अनाज सहित फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ खाने और पानी का खूब सेवन करें। 

अपने बच्चे को स्तनपान-
डॉक्टरों, चिकित्सा विशेषज्ञों और स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार छह महीने के लिए विशेष रूप से अपने बच्चे को स्तनपान की सलाह देते हैं। यह सबसे अधिक प्राकृतिक व् सबसे अच्छा पोषणका स्त्रोत है, स्तनपान हमेशा आसानी से नहीं होता है। आपको शुरू मुसीबत हो सकती है। धैर्य से काम ले और कोशिश करती रहे।

खान -पान का उचित ध्यान -
प्रसव के बाद आई शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए खान-पान का ध्यान रखना अति आवश्यक है। नवजात शिशु भी स्तनपान के द्वारा आवश्यक पोषक तत्व आपसे ही ग्रहण करेगा ,तो जरुरी है की आप इतना पौष्टिक भोजन अवश्य ग्रहण करे कि अपनी और शिशु की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सके।  
आप अपने आहार में आयरन, कैल्शियम , विटामिन, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की तरह सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को सुनिश्चित करें। दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने वाले खान-पान शामिल करे ताकि बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बन सके सके। जीरा खाने से दूध के बनने में काफी वृद्धि होती है। इसके अलावा आप अपने शरीर को चुस्त दुरुस्त और फिट रखने के लिए बाद में व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकती है। 

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