कोर्ट मैरिज कैसे होती है- Court Marriage Kaise Hoti hai ?
कोर्ट मैरिज कैसे होती है---
अब उन प्रेमी युगलो को कोई परेशानी नही होगी,जोकि लव मैरिज के लिए अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते है, क्योंकि अब परिवार के सदस्य की मौजूदगी के प्रावधान को खत्म कर दिया जाएगा।
कोर्ट मैरिज सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मैरिज है। कोर्ट मैरिज संपन्न करने की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान ही है। इस अधिनियम द्वारा एक या अलग अलग धर्मों के स्त्री पुरुष भी, रस्मों रिवाजों वाली मैरिज के बदले कोर्ट मैरिज कर सकते है और यह शादी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।अपनी जाति और धर्म से अलग जाति और धर्म का जीवन साथी चुनने के लिए प्यार की तरफ कदम बढ़ा रहे प्रेमी युगलों के लिए अब एक नया प्रावधान किया जाएगा ।
अब उन प्रेमी युगलो को कोई परेशानी नही होगी,जोकि लव मैरिज के लिए अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते है, क्योंकि अब परिवार के सदस्य की मौजूदगी के प्रावधान को खत्म कर दिया जाएगा।
कोर्ट मैरिज सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त मैरिज है। कोर्ट मैरिज संपन्न करने की प्रक्रिया पूरे भारत में एक समान ही है। इस अधिनियम द्वारा एक या अलग अलग धर्मों के स्त्री पुरुष भी, रस्मों रिवाजों वाली मैरिज के बदले कोर्ट मैरिज कर सकते है और यह शादी सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।अपनी जाति और धर्म से अलग जाति और धर्म का जीवन साथी चुनने के लिए प्यार की तरफ कदम बढ़ा रहे प्रेमी युगलों के लिए अब एक नया प्रावधान किया जाएगा ।
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ऐसे प्रेमी युगल स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत तुरंत कोर्ट मैरिज कर पाएंगे।अब उन्हें 30 दिन के नोटिस तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा।पहले यह प्रावधान था कि अपनी जाति और धर्म के बाहर शादी करने वाले प्रेमी युगल के आवेदन करने पर 30 दिन का नोटिस दिया जाता था। यह नोटिस बाल विवाह और जबरदस्ती शादी को रोकने के उद्देश्य से दिया जाता था। परंतु यह अवधि प्रेमी युगल के लिए खतरनाक साबित होने लगी। घरवालो से बचने के लिए उन्हें एक महीने तक इधर उधर भागना पड़ता था। इस अवधि के दौरान घरवाले भागे हुए जोड़े का पता लगा लेती थी और उन्हें मार भी देती थी जिससे ओनर किलिंग की समस्या बहुत अधिक बढ़ गयी।
ओनर किलिंग की समस्या बढ़ने के कारण इस प्रावधान में फेर-बदल किया जाएगा।बिना नोटिस के कोर्ट मैरिज का संशोधन किया जाएगा ताकि प्रेमी युगल जल्दी शादी कर सके और उन्हें ज्यादा भागना न पड़े। एक बार शादी हो जाने के बाद घर वालो का गुस्सा भी खुद ब खुद धीरे धीरे कम हो जाता है जिससे ओनर किलिंग की समस्या भी खत्म हो जायेगी।
इसके अलावा शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने के
लिए अब प्रेमी युगल के लिए परिवार के लोगों की मौजूदगी जरूरी नहीं होगी। अब उन प्रेमी युगलो को कोई परेशानी नही होगी,जोकि लव मैरिज के लिए अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते है, क्योंकि अब परिवार के सदस्य की मौजूदगी के प्रावधान को
खत्म कर दिया जाएगा।
कोर्ट मैरिज की शर्ते----
कोर्ट मैरिज के लिये निम्नलिखित शर्तो का पालन करना अति आवश्यक है----
कोई पूर्व विवाह न हो या पूर्व विवाह वाले जीवनसाथी से डिवोर्स हो चुका हो----
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहली शर्त यही है कि कोई पूर्व विवाह मौजूद न हो,यदि कोई पूर्व विवाह हुआ भी हो तो उससे डिवोर्स के जरिये सम्बन्ध-विच्छेद हो चुका हो।
उम्र--
कोर्ट मैरिज के लिए लड़के की उम्र 21 से अधिक और लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया-----
कोर्ट मैरिज की सूचना या आवेदन---
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले जिले के विवाह अधिकारी को आवेदन किया जाता है। कोर्ट मैरिज में सम्मिलित होने वाले पक्षों द्वारा यह लिखित सूचना दी जानी चाहिए।आवेदन करने वाले पक्षो में से कम से कम एक पक्ष का आवेदन की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में निवास किया हो। यानि कि यदि लड़का और लड़की जयपुर में रहते हो और कलकत्ता में विवाह करना चाहते हैं तो उनमें से किसी एक को आवेदन की तारीख से ३० दिन पहले कलकत्ता में निवास करना आवश्यक है।
इसमें आवेदन फार्म के साथ आयु और निवास के प्रमाण दस्तावेज भी होने चाहिए। इसके बाद जिले का विवाह अधिकारी जिसके सामने सूचना जारी की गयी थी या आवेदन किया गया था, वो ही सूचना को प्रकाशित करता है।
सूचना की एक कॉपी उस जिला कार्यालय में प्रकाशित की जाती है जहाँ आवेदन किया गया था और दूसरी कॉपी उस जिला कार्यालय में प्रकाशित की जाती है जहाँ विवाह पक्ष स्थायी रूप से निवासित है ।
विवाह पर आपत्तियों के लिए 30 दिन का नोटिस--
इसके बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है ताकि यदि कोई पक्ष विवाह में आपत्ति प्रस्तुत करना चाहता है तो वह संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। आपत्ति प्रस्तुत करने के ३० दिनों के भीतर ही अधिकारी द्वारा जांच पड़ताल करना आवश्यक है। यदि कोर्ट मैरिज में प्रस्तुत की गयी आपत्तियां वाजिब होती है तो विवाह सम्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा यदि कोई पक्ष इन आपतियो पर अपील दर्ज करवाना चाहता है तो स्वीकार की गयी आपत्तियों पर स्थानीय जिला न्यायलय में अपनी अपील दर्ज कर सकता है।यह अपील आपत्ति स्वीकार होने की तारीख से 30 दिन के अंदर ही की जाती है।
कोर्ट मैरिज घोषणा पर हस्ताक्षर---
कोर्ट मैरिज के लिए लड़का ,लड़की और तीन गवाह के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये जाते है। इसके बाद विवाह अधिकारी भी घोषणा को प्रतिहस्ताक्षरित करता है।और इस तरह से कोर्ट मैरिज संपन्न हो जाती है।
कोर्ट मैरिज की शर्ते----
कोर्ट मैरिज के लिये निम्नलिखित शर्तो का पालन करना अति आवश्यक है----
कोई पूर्व विवाह न हो या पूर्व विवाह वाले जीवनसाथी से डिवोर्स हो चुका हो----
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहली शर्त यही है कि कोई पूर्व विवाह मौजूद न हो,यदि कोई पूर्व विवाह हुआ भी हो तो उससे डिवोर्स के जरिये सम्बन्ध-विच्छेद हो चुका हो।
उम्र--
कोर्ट मैरिज के लिए लड़के की उम्र 21 से अधिक और लड़की की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया-----
कोर्ट मैरिज की सूचना या आवेदन---
कोर्ट मैरिज करने के लिए सबसे पहले जिले के विवाह अधिकारी को आवेदन किया जाता है। कोर्ट मैरिज में सम्मिलित होने वाले पक्षों द्वारा यह लिखित सूचना दी जानी चाहिए।आवेदन करने वाले पक्षो में से कम से कम एक पक्ष का आवेदन की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में निवास किया हो। यानि कि यदि लड़का और लड़की जयपुर में रहते हो और कलकत्ता में विवाह करना चाहते हैं तो उनमें से किसी एक को आवेदन की तारीख से ३० दिन पहले कलकत्ता में निवास करना आवश्यक है।
इसमें आवेदन फार्म के साथ आयु और निवास के प्रमाण दस्तावेज भी होने चाहिए। इसके बाद जिले का विवाह अधिकारी जिसके सामने सूचना जारी की गयी थी या आवेदन किया गया था, वो ही सूचना को प्रकाशित करता है।
सूचना की एक कॉपी उस जिला कार्यालय में प्रकाशित की जाती है जहाँ आवेदन किया गया था और दूसरी कॉपी उस जिला कार्यालय में प्रकाशित की जाती है जहाँ विवाह पक्ष स्थायी रूप से निवासित है ।
विवाह पर आपत्तियों के लिए 30 दिन का नोटिस--
इसके बाद विवाह अधिकारी द्वारा 30 दिन का नोटिस जारी किया जाता है ताकि यदि कोई पक्ष विवाह में आपत्ति प्रस्तुत करना चाहता है तो वह संबंधित जिले के विवाह अधिकारी के सामने अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकता है। आपत्ति प्रस्तुत करने के ३० दिनों के भीतर ही अधिकारी द्वारा जांच पड़ताल करना आवश्यक है। यदि कोर्ट मैरिज में प्रस्तुत की गयी आपत्तियां वाजिब होती है तो विवाह सम्पन्न नहीं होगा। इसके अलावा यदि कोई पक्ष इन आपतियो पर अपील दर्ज करवाना चाहता है तो स्वीकार की गयी आपत्तियों पर स्थानीय जिला न्यायलय में अपनी अपील दर्ज कर सकता है।यह अपील आपत्ति स्वीकार होने की तारीख से 30 दिन के अंदर ही की जाती है।
कोर्ट मैरिज घोषणा पर हस्ताक्षर---
कोर्ट मैरिज के लिए लड़का ,लड़की और तीन गवाह के द्वारा विवाह अधिकारी की उपस्थिति में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किये जाते है। इसके बाद विवाह अधिकारी भी घोषणा को प्रतिहस्ताक्षरित करता है।और इस तरह से कोर्ट मैरिज संपन्न हो जाती है।