अपना भविष्य कैसे जाने- Apna Bhavishya Kaise Jane Online Free
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मनुष्य अपने भविष्य की रूप रेखा तैयार करने के लिए और अपने भविष्य को जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहता है। हर व्यक्ति अपना भविष्य जानना चाहता है क्योंकि दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नही है,जिसको कोई समस्या नही हो। हर व्यक्ति किसी न किसी समस्या से घिरा हुआ है। किसी को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो किसी को पारिवारिक समस्याएं है,कोई औलाद न होने से परेशान है तो किसी की शादी में विलम्ब होता है। इसके अलावा ये भी चिंताए सताती रहती है कि हमारे अटके काम कब पूरे होंगे , अच्छे दिन कब आएंगे, बुरे दिन कब खत्म होंगे।
मनुष्य अपने भविष्य की रूप रेखा तैयार करने के लिए और अपने भविष्य को जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहता है। हर व्यक्ति अपना भविष्य जानना चाहता है क्योंकि दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नही है,जिसको कोई समस्या नही हो। हर व्यक्ति किसी न किसी समस्या से घिरा हुआ है। किसी को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो किसी को पारिवारिक समस्याएं है,कोई औलाद न होने से परेशान है तो किसी की शादी में विलम्ब होता है। इसके अलावा ये भी चिंताए सताती रहती है कि हमारे अटके काम कब पूरे होंगे , अच्छे दिन कब आएंगे, बुरे दिन कब खत्म होंगे।
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इन सब समस्यायों के समाधान के लिए हर व्यक्ति अपना भविष्य जानने की कोशिश करता रहता है। सबका भविष्य जानने का अपना अपना तरीका है। कोई ग्रह नक्षत्र के माध्यम से भविष्य बताता है तो कोई हाथ की रेखाएं देखकर भविष्य का अंदाज़ा लगाता है। कोई अंगूठा देखकर भविष्य वाणी करता है तो कोई टैरो कार्ड्स से भविष्य बताता है।
कई लोग भविष्य जानने के लिए पंडितो ,ज्योतिषियों और सिद्ध बाबाओं के यहाँ चक्कर लगाते रहते है जोकि आपका समय और पैसा बर्बाद कर देते हैं। आज हिंदी ज्ञान वेब आपको बताएगा कि भविष्य जानने का कौन सा तरीका सही मायने में उपयुक्त है।
हस्त रेखाएं कहती है भविष्य के बारे में बहुत कुछ-------
यह भी कुदरत का करिश्मा ही है कि संसार में किन्ही भी दो व्यक्तियों की हस्त रेखाएं एक समान नही होती है। दो व्यक्ति तो क्या, एक ही इंसान की दोनों हाथो की रेखाएं भी अलग अलग होती है। दायें हाथ की रेखाओं से हमे भूतकाल का पता चलता है कि हमने अपनी जिंदगी में क्या-क्या अर्जित किया। जबकि बांये हाथ की रेखाएं भविष्य की भविष्यवाणी करती है।
आदमी का भविष्य दांये हाथ में देखा जाता है जबकि औरत का भविष्य बांए हाथ में देखा जाता है। हाथ में मुख्य रूप से 7 रेखाएं होती है जो निम्नलिखित है-----
1 जीवन रेखा-----
जीवन रेखा से ही आयु, मृत्यु, संकट, दुर्घटना आदि का पता लगाया जाता है।हाथ पर स्तिथ वह रेखा जो अंगूठे के पास से प्रारम्भ होकर शुक्र पर्वत को घेरती हुई हथेली के अंत तक मणिबंध की ओर जाती है,उसे जीवन रेखा कहते है।जीवन रेखा जितनी लम्बी होगी उस व्यक्ति की उम्र उतनी ही लम्बी होगी। इसके विपरीत छोटी जीवन रेखा कम उम्र की ओर इशारा करती है। जीवन रेखा का बीच में टुटा हुआ होना दुर्घटना या बीमारी का संकेत होता है किन्तु यदि जीवन रेखा के साथ ही कोई अन्य रेखा समानांतर रूप से चल रही हो तो इसका अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाता है।यदि एक हाथ की जीवन रेखा टूटी हुई हो और दूसरे हाथ की जीवन रेखा स्वस्थ हो तो यह गम्भीर बीमारी की सूचक होती है।
2 मस्तिष्क रेखा----
मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के पास से ही प्रारम्भ होकर हथेली के मध्य भाग में आड़ी स्थिति में विद्यमान होती है। किसी हाथ में मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के समानान्तर प्रारम्भ होती है तो किसी के हाथ में जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा दोनों का प्रारम्भ एक ही जगह से होता है अर्थार्थ दोनों मिली हुई होती है। मस्तिष्क रेखा यहाँ से प्रारंभ होकर हथेली के दूसरी ओर जाती है।यह रेखा मानसिक और बौद्धिक क्षमता की ओर इशारा करती है। गहरी और स्वस्थ रेखा अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की ओर इशारा करती है जबकि टूटी फूटी रेखा कमजोर मानसिकता को दर्शाती है। नीचे की और थोड़ी झुकी हुई मस्तिष्क रेखा कला,संगीत और साहित्य में रूचि को इंगित करती है।
3 हृदय रेखा------
हृदय रेखा सबसे छोटी ऊँगली के नीचे से शुरू होकर तर्जनी ऊँगली की ओर जाती है। सीधी या नीचे की और झुकी हुई रेखा साहित्य और कला प्रेम को दर्शाती है जबकि ऊपर की ओर जाती हुई हृदय रेखा वाला व्यक्ति स्वतन्त्र विचारो वाला होता है और तकनीकी क्षेत्र और बौद्धिक क्रियाकलापो में रूचि रखने वाला होता है।
4 भाग्य रेखा---
यह रेखा कलाई के पास हथेली के नीचे वाले हिस्से से प्रारम्भ होकर हथेली के बीचों बीच जाते हुए मध्य उंगली तक जाती है,यह रेखा छोटी भी हो सकती है और जीवन रेखा के प्रारंभ स्थान या मस्तिष्क रेखा तक हो सकती है। भाग्य रेखा अगर स्पष्ट हो तो उसका भाग्य काफी अच्छा माना जाता है जबकि हल्की और किसी दूसरी रेखा से कटी हुई भाग्य रेखा परेशानियों और असफलताओ की सूचक है। भाग्य रेखा स्कूल उपलब्धियाँ, कैरियर के चयन, सफलताओं और बाधाओं के साथ साथ व्यक्ति के जीवन-पथ के विषय में बताती है। जीवन रेखा से भाग्य रेखा का दूर होना और भाग्य रेखा का मोटे से पतले होते जाना भरपूर सुख और वैभव का प्रतीक है।
5 स्वास्थ्य रेखा---
स्वास्थ्य रेखा सबसे छोटी ऊँगली के नीचे वाले स्थान से प्रारम्भ होकर अंगूठे के नीचे वाले स्थान के ओर जाती है। यह रेखा बताती है कि व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा रहेगा। स्वास्थ्य रेखा पर क्रॉस और वलय के चिन्ह बीमारियों के सूचक होते है।
6 विवाह रेखा---
विवाह रेखा सबसे छोटी ऊँगली के नीचे वाले स्थान पर थोड़ी साइड में विद्यमान होती है। विवाह रेखा आड़ी बनी होती है और एक या एक से अधिक हो सकती है। एक रेखा का अर्थ एक ही विवाह दर्शाता है जबकि अधिक रेखाओ का होना एक से अधिक विवाह या विवाह के साथ साथ प्रेम सम्बन्ध की ओर इशारा करता है।
7 संतान रेखा---
संतान रेखा भी सबसे छोटी ऊँगली के नीचे वाले स्थान अर्थार्थ बुध क्षेत्र पर थोड़ी साइड में विद्यमान होती है। संतान रेखा खड़ी रेखाओ के रूप में मौजूद होती है और ये भी एक या अनेक हो सकती है।जितनी रेखाएं होगी उतनी ही संतान व्यक्ति के भाग्य में होती है। इन रेखाओ की स्तिथि और बनावट से यह भी पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति को संतान के रूप में कितने लड़के या लड़कियां होगी।
हथेली और उंगलियो पर मौजूद चिन्ह भी बताते है भविष्य-----
यदि आप अपने हाथ की उंगलियो और हथेली को गौर से देखेंगे तो आप पाएंगे कि आपकी हथेली पर अनेक द्वीप,वलय ,तारा,वर्ग और क्रॉस आदि के चिन्ह मौजूद है।उंगलियो की बनावट और उंगलियो पर मौजूद छोटे और बड़े पर्व भी भविष्य के विषय में स्टीक जानकारी उपलब्ध करवाते है। इन चिन्हों में से कुछ चिन्ह लाभकारी होते है तो कुछ नुकसानदायक होते है। हिंदी ज्ञान वेब आपको आज अवगत करवाएगा कि इन अलग अलग चिन्हों का जीवन पर कैसा असर पड़ता है-------
1 द्वीप का चिन्ह----
ज्योतिष विज्ञानं में द्वीप चिन्ह को नुकसानदायक माना जाता है। द्वीप जिस भी पर्वत पर बना होता है,उस जगह के शुभ प्रभाव को नुकसान पहुंचाता है। गुरु पर्वत पर द्वीप की स्तिथि आपके मान-सम्मान को हानि पहुंचाने वाली होती है जबकि सूर्य पर्वत पर द्वीप होने पर आपके अंदर की प्रतिभा उभरकर बाहर नही आ पाती। चन्द्र पर्वत पर इसकी मौजूदगी आपकी कल्पना शक्ति को क्षीण बना देती है जबकि मंगल पर्वत पर इसकी मौजूदगी आपके साहस और हिम्मत को उभरने नही देती। बुध पर्वत पर द्वीप का होना अस्थिर मन ,किसी कार्य में मन का न लगना और काम को बीच में ही अधूरा छोड़ देना जैसी मनोदशा का परिचायक है। शुक्र पर्वत पर द्वीप आपकी सुंदरता और कलाओ के प्रति अधिक शौकीनता को दर्शाता है। शनि पर्वत पर द्वीप जीवन में एक के बाद एक परेशानियों का परिचायक है।
इसके अलावा हस्त रेखाओ पर भी द्वीप की मौजूदगी हानिकारक ही होती है। हृदय द्वीप की मौजूदगी दिल की बीमारियों का परिचायक है,ऐसे व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने का खतरा बना रहता है। मस्तिष्क रेखा पर द्वीप की मौजूदगी दिमागी असन्तुलन या मानसिक बीमारियों का घोतक है।
2 क्रॉस या गुणा का चिन्ह---
क्रॉस का चिन्ह का फल कुछ स्तिथियों में लाभकारी होता है और कुछ स्तिथियों में हानिकारक भी हो सकता है। यह चिन्ह जीवन में बदलाव को दर्शाता है। बृहस्पति पर्वत पर इस चिन्ह की मौजूदगी दर्शनशास्त्र और रहस्यमयी विषयो में आपकी रूचि पैदा करता है। क्रॉस का चिन्ह यदि हथेली के बीच में मौजूद हो तो आपकी रूचि अध्यात्म और पूजा-पाठ की और अग्रसर होती है। सूर्य पर्वत पर क्रॉस का निशान कठिनाइयों का सूचक होता है जिससे आपकी आर्थिक स्तिथि कमजोर हो जाती है और यश की भी कमी बनी रहती है। मंगल पर्वत पर इसकी स्तिथि शत्रुओ से सावधान रहने की ओर इशारा करती है क्योकि वो आपको नुकसान पहुंचा सकते है।शनि पर्वत पर भाग्य रेखा को छू कर बना हुआ क्रॉस का निशान दुर्घटना में जान हानि का संकेत करता है। जीवन रेखा पर क्रॉस का चिन्ह करीबी रिश्तेदारो से आपके सम्बन्ध मधुर नही रहने देता।
3 तारा का चिन्ह---
तारा का चिन्ह का होना काफी प्रभावशाली और शुभ माना जाता है। किसी भी रेखा के अंतिम सिरे पर तारे का चिन्ह का होना उस रेखा के प्रभाव को बढा देता है। किसी पर्वत पर भी तारे की मौजूदगी उसकी शक्ति को कई गुणा बढा देती है। बृहस्पति चिन्ह पर इसकी की मौजूदगी आपके मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाकर आपके व्यक्तित्व को असाधारण बना देती है। सूर्य पर्वत पर इसकी मौजूदगी आपके कार्य-क्षेत्र और धन की स्तिथि को सुदृढ़ बनाती है। चन्द्र पर्वत पर तारे का होना आपको कलात्मक सृजनता प्रदान करता है। मंगल पर्वत पर तारे की मौजूदगी उज्जवल और चमकदार भाग्य को दर्शाती है। शुक्र पर तारे का चिन्ह सफल प्रेम सम्बन्ध को इंगित करता है जबकि शनि पर इसकी मौजूदगी कठिनाइयों का प्रतीक है।
4 त्रिभुज का चिन्ह---
जिनके हाथ में त्रिभुज का चिन्ह मौजूद होता है वो लोग बहुत अधिक सौभाग्यशाली होते है। उनका जीवन बहुत ऐश्वर्यशाली हो और सभी भौतिक सुख-सुविधाओ से युक्त होता है। ऐसे व्यक्तियों को पर्याप्त धन-सम्पदा और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। हथेली पर जितना बड़ा त्रिभुज विद्यमान होता है,वह उतना ही अधिक शुभ फल देने वाला होता है। यदि किसी व्यक्ति की हथेली पर एक बड़े त्रिभुज के अंदर एक छोटा त्रिभुज बनता है तो वह व्यक्ति निश्चय ही उच्च पद और प्रतिष्ठा को प्राप्त करता है। टुटा-फूटा और अस्पष्ट त्रिभुज संकीर्ण विचारधारा का प्रतीक माना जाता है।
5 उंगलियो की बनावट और अंगूठे के पर्व-----
उंगलियों की बनावट और अंगूठे पर मौजूद छोटे-बड़े पर्व भी हमारे भविष्य के बारे में काफी कुछ संकेत देते है। हाथ की सबसे छोटी ऊँगली हमारी आर्थिक स्तिथि को स्पष्ट कर देती है। हाथ में सबसे छोटी ऊँगली के नीचे के स्थान को बुध क्षेत्र कहते है। जिन व्यक्तियों का बुध क्षेत्र उभरा हुआ, स्पष्ट और लालिमा युक्त होता है और अन्य पर्वतो से अधिक उभरा हुआ होता है, तो ऐसे व्यक्तियों में बुद्धि और चतुराई अधिक होती है। ऐसे व्यक्ति अपने परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी बखूबी निभाते है। ऐसे लोग दूसरे के मन की बात को आसानी से पढ़ सकते है इसलिए बिज़नेस में ये हमेशा सफल ही रहते है। ऐसे लोगो में उत्सुकता अधिक मात्रा में होती और जीवन में सफल वैज्ञानिक या व्यापारी बनते हैं लेकिन विषम परिस्थितियां आने पर उतने ही खतरनाक स्वभाव के भी हो सकते हैं।
जिन महिलाओं की उंगलियां लम्बी और गोल होती है वो खुद के लिए और अपने पति के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली होती हैं और चिकनी, सीधी और गांठ रहित उंगलियों वाली महिलाये वैवाहिक जीवन के लिए अति उत्तम मानी जाती हैं। इसके विपरीत छोटी उंगलियों वाली महिलाये जरूरत से ज्यादा खर्चीली मानी जाती हैं। महिलाओं की उंगलियों में तीन पर्व का होना अत्यंत भाग्यशाली होने का सूचक है। इसके विपरीत जिन महिलाओ की उंगलियों में चार पर्व यानी पोर हों और उंगलियां छोटी-छोटी हो,तो ऐसी महिलाएं पति के लिए और खुद के लिए भी भाग्यशाली नहीं मानी जाती ।
अंगूठे में भी तीन पर्व का होना भाग्यशाली होने को दर्शाता है। अंगूठे के पहले पर्व का लम्बा होना व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की और इशारा करता है लेकिन बहुत अधिक लम्बा पर्व असमाजिक कार्यो को अंजाम देने वाला हो सकता है। इसके विपरीत पहले पर्व का छोटा होना दर्शाता है कि ऐसा व्यक्ति हर कार्य के लिए दुसरो पर निर्भर रहता है। अंगूठे के दूसरे पर्व का लम्बा होना व्यक्ति के चालाक और सजग होने का प्रतीक है और ऐसे व्यक्ति जनसेवा के कार्यों में सक्रिय रहने वाला होता है। इसके विपरीत जिन व्यक्तियों का दूसरा पूर्व छोटा होता है वे परिणाम की चिंता किये बिना काम करने वाले होते है।
शरीर के विभिन्न अंगो पर तिल का भविष्य में महत्व------
शरीर के विभिन्न अंगो तिल का होना भी कुछ महत्वपूर्ण बातों को इंगित करता है जिससे भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। लाल तिल हमेशा शुभ फल देने वाला होता है जबकि काला तिल शुभ और अशुभ दोनों तरह का हो सकता है। कुछ तिल जन्म से ही होते है तो कुछ जीवन काल के दौरान उत्पन्न होते है। तिल भाग्य में बदलाव को दर्शाते है और भविष्य के कई रहस्यो को उजागर करते है।
माथे के मध्य पर तिल -----
जिन लोगो के माथे के बीच में तिल होता है वे बहुत सौभाग्यशाली होते है। उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
माथे के दाहिनी ओर तिल----
जिन लोगो के माथे के दाहिनी ओर तिल होता है उनके पास धन की कभी कमी नही रहती।
माथे के बायीं तरफ टिल----
माथे के बांये तरफ तिल फिजूलखर्ची को दर्शाता है।
दांये कान के पास तिल---
दांए कान के सामने की तरफ तिल होने पर वह व्यक्ति कम उम्र में ही धनवान बन जाता है और सुंदर जीवनसाथी को प्राप्त करता है जबकि दांये कान के पीछे की तरफ तिल बीमारियों को प्रतीक होता है।
बांये कान के पास तिल----
बांये कान के सामने की तरफ तिल रहस्यमयी गुणो का प्रतीक है और ऐसे व्यक्ति की शादी देरी से होती है जबकि बांये कान के पीछे की ओर तिल गलत कार्यो में लिप्त होने की आशंका को व्यक्त करता है।
दांयी आँख पर तिल---
दांयी आँख पर तिल का होना सुखद दाम्पत्य जीवन का प्रतीक है। जिनकी आँख के पास तिल होता है वो लोग अक्सर थोड़े भावुक किस्म के होते है।
बांयी आँख पर तिल ---
जिन लोगो की बांयी आंख पर तिल होता है उनकी अपनी स्त्री से अनबन रहती है लेकिन उस व्यक्ति के विचार उच्च होते है।
नाक पर तिल---
नाक पर सामने की तरफ तिल वाला व्यक्ति लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने वाला होता है और ऐसा व्यक्ति विपरीत लिंग की ओर जल्दी आकर्षित होता है। नाक के दांयी और तिल भरपूर धन-संपत्ति का प्रतीक है जबकि नाक के बांयी और टिल जीवन में संघर्ष की ओर इशारा करता है।
होंठो के आस-पास तिल ---
होंठो के दांये ओर तिल का होना जीवनसाथी से पूर्ण सहयोग की ओर इशारा करता है और ऐसे लोग अपने कार्य क्षेत्र में पूरी सफलता प्राप्त करते है,जबकि भोजन के प्रति इनकी कोई खास रूचि नही होती। इसके विपरीत होठो के बांयी ओर तिल का होना जीवनसाथी के साथ कलहपूर्ण जीवन की ओर इशारा करता है। ऐसे व्यक्ति भोजन और नए कपड़ो के शौकीन होते है। होठो के ऊपर तिल का होना विलासिता का प्रतीक माना जाता है।
ठोडी पर तिल ----
ठोडी पर तिल का होना अत्यंत शुभ होता है,ऐसे व्यक्ति को कभी किसी वस्तु या धन का अभाव नही रहता किन्तु वह व्यक्ति मिलनसार नही होता।
गाल पर तिल---
जिस व्यक्ति के दांये गाल पर तिल होता है ,वह व्यक्ति धनवान और सफल बनता है जबकि बांये गाल पर तिल वाला व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का प्रतीक होता है।
छाती पर तिल ----
छाती के बांयी ओर तिल को अशुभ माना जाता है जबके छाती पर दांयी ओर स्तिथ तिल को शुभ फल देने वाला माना जाता है। जिन महिलाओ की छाती पर बांयी ओर तिल होता है,वो महिलाये अक्सर खुश रहती है और भाग्य से उनकी किस्मत उज्जवल बनती है।
हथेली और उंगलियो पर तिल ----
हथेली के बीच में तिल का होना धन और ऐश्वर्य का प्रतीक है,ऐसे व्यक्ति को कभी धन की कमी नही रहती।
सबसे छोटी ऊँगली पर तिल का होना यशस्वी होने का संकेत है किन्तु ऐसे व्यक्ति को मानसिक शांति का अभाव रहता है। अनामिका ऊँगली पर तिल का होना धन और यश की बढ़ोतरी करता है।
पीठ पर तिल ---
जिन पुरुषो की पीठ पर तिल होता है वो खूब धन कमाते है और खर्च भी जमकर करते है।इसके विपरीत महिलाओ की पीठ पर तिल का होना उनकी रोमांस के प्रति रूचि की ओर इशारा करते है।
बांहो पर तिल ---
बांहो पर तिल की उपस्तिथि शुभ मानी जाती है,विशेष रूप से महिलाओ की बांहो पर तिल धनवान होने का संकेत देता है। और उसको पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
नाभि पर तिल---
नाभि पर तिल का होना उस व्यक्ति के भोजन के प्रति शौकीनता को दर्शाता है। नाभि के आस-पास तिल धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
गुप्त-अंग पर तिल ---
गुप्तांगो पर तिल का होना व्यक्ति को विपरीत लिंग वाले व्यक्ति के प्रति आकर्षित होने का संकेत देता है।
जांघो और पैरो पर तिल --
जिस महिला की जांघो पर तिल विद्यमान होता है उस महिला से पुरुष अत्यधिक आकर्षित होते है। जबकि पैरो पर तिल की उपस्तिथि उच्च पद प्राप्त करने की ओर इशारा करती है।ऐसा व्यक्ति सफल जीवन व्यतीत करता है।