शिव की पूजा कैसे करे - Shiv ki puja kaise kare

इस लेख में जाने- शिव पूजा विधि, शिव पूजन सामग्री, शिव को प्रसन्न करने के उपाय, शिव अभिषेक मंत्र, 
रुद्राभिषेक की विधि !


शिव  की पूजा कैसे करे --
शिव भगवान को देवो का देव  और भोलेनाथ  भी  कहा जाता है।    ऐसा  कहा जाता है कि  भगवान शिव सबसे भोले है और पूजा करने पर सबसे ज़ल्दी प्रसन्न होते है।  इसीलिए कहा जाता है कि यदि आप  कम समय में मनवांछित फल प्राप्त करना चाहते है तो शिव जी की आराधना और पूजा करे। शिव जी पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाये तो  कृपा अति शीघ्र ही आप पर हो जाएगी।  आज के इस लेख में  हम आपको बताएंगे कि पूजा में विशेष ध्यान रखकर किस प्रकार से शिव जी को शीघ्र प्रसन्न किया जा  सकता है।

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शिव पूजा में क्या चढ़ाये और क्या न चढ़ाये-
 शिव को प्रिय सामान जो शिवलिंग पर अर्पित किया जाना चाहिए वो  निम्नलिखित है-------

 शहद --
शहद शिवजी को प्रिय सामान के अंतर्गत आता है और शहद को शिवजी को अर्पित करने से हमारी वाणी मिठास से  परिपूर्ण हो जाती है।

चन्दन---
चंदन भी शिवजी को अति प्रिय है इसीलिए शिव पूजा में चन्दन से शिवजी का अभिषेक करना चाहिए इससे हमारा व्यक्तित्व आकर्षक  बनता है  और समाज के अंदर मान-सम्मान में वृद्धि होती है।

श्वेत रंग के फूल--
शिव जी को श्वेत रंग  अति प्रिय है  क्योंकि श्वेत रंग शुभ्रता का प्रतीक है जो शुभ्र है, सौम्य है, शाश्वत है वह सात्विक भाव वाला है।श्वेत रंग के फूल चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।

भांग---
शिवजी को भांग सबसे अधिक प्रिय है,शिवजी भांग पीकर ही अपनी धूनी लगाते है। शिवलिंग पर भांग अर्पित  करने से हमारे अंदर के विकार और बुराइयां सब समाप्त हो जाती है।

दूध----
दूध से शिवलिंग को स्नान करवाने से हमारा स्वास्थ्य उत्तम बनता है। दूध में शक्कर मिलाकर जलाभिषेक करने से बुद्धि का विकास होता है

बेलपत्र,आक और धतूरा --
बेलपत्र,आक और धतूरा शिव को अत्यधिक प्रिय है,ये अन्य किसी भी देवता के पूजन में नही चढ़ाये जाते।  वनस्पतियो के देवता शिव को इस तरह की वनस्पति अत्यधिक प्रिय है। यह चढ़ाने पर मानसिक तनाव दूर हो जाता है।

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दही---
अपने सात्विक गुणों के कारण दही भी शिव को अत्यधिक प्रिय है,इसको चढ़ाने से हमारा स्वभाव गंभीर बनता है।


इत्र --
इत्र से शिवजी को स्नान करवाने से वातावरण सुगन्धित  और सौम्य बनता है जिससे हमारे विचार पवित्र बनते है।

मंत्रो का उच्चारण ---
शिव पूजा में मंत्रो का उच्चारण अत्यधिक फलदायी है। आप शिव पूजा के दौरान महामृतुञ्जय मन्त्र का उच्चारण कर  सकते है।  इस मन्त्र के उच्चारण से रोग,शोक,दुःख और बाधा सब नष्ट हो जाते है।  मंत्रो के उच्चारण से हमारा स्वभाव भी शांत और स्नेहमय हो जाता है।


अक्षत या चावल----
अक्षत भी शिव प्रिय सामान के अंतर्गत आते है।बिना टूटे हुए अक्षत शिवजी को अर्पित करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।


उडद और तिल --
उडद और तिल भी शिव को अत्यधिक प्रिय है। उडद और तिल शिवलिंग पर अर्पित  करने से ग्रह दोष समाप्त हो जाते है और शनि की पीड़ा  समाप्त हो जाती है।

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चने की दाल---
चने की दाल शिवलिंग पर अर्पित करने से श्रेष्ठ जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। और मूंग की दाल शिवलिंग पर चढ़ाने से संसार के हर सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति  होती है।


दूब ---
दूर्वा घास या दूब भी शिव को अत्यधिक प्रिय है।  इसको  अर्पित करने से आयु लंबी होती है।


माता पार्वती का पूजन जरूर करे--
शिवजी के पूजन के साथ ही माता पार्वती का पूजन भी अवश्य करे अन्यथा पूजन अधूरा रह जायेगा। 


शिवलिंग पर क्या न चढ़ाये---------


हल्दी---
हल्दी वैसे तो हर धार्मिक अनुष्ठान में प्रयोग की जाती है किन्तु शिव जी को हल्दी अर्पित नही की जाती। हल्दी सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रतीक मानी जाती है किन्तु शिवजी पुरुषत्व का प्रतीक है।  इसलिए शिवजी को हल्दी चढ़ाना निषेध  माना गया है।


लाल रंग के फूल और केतकी,केवड़े के फूल---
शिव जी को लाल फूल बिलकुल प्रिय नही है।  इसलिए लाल रंग के फूल शिवजी को अर्पित न करे ,इसके अलावा शाश्त्रो में केतकी और केवड़े के फूलो को भी शिवलिंग पर चढ़ाने से निषेध किया गया है।

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शंख--
शंख भी शिवपूजा में वर्जित माना गया है। ऐसा कहा  जाता है कि शिवजी ने शंखचूर नमक राक्षस का वध किया था।  इसीलिए उनकी पूजा  में शंख को नही  रखा जाता।  


रोली---
शिवजी की पूजा में रोली और कुमकुम भी नही अर्पित किया जाता।  शिव जी को श्रृंगार प्रिय नही है और रोली श्रृंगार प्रसाधन में गिना जाता है।


तुलसी के पत्ते---
तुलसी के पत्ते भी  शिवलिंग पर अर्पित नही करने चाहिए। इस विषय  में असुर राज जलंधर की कथा का उल्लेख मिलता है श‌िव जी ने जलंधर का वध क‌िया था ज‌िसकी पत्नी वृंदा उसके वध के बाद तुलसी का पौधा बन गई थी।  इसल‌िए वृंदा ने भगवान श‌िव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी।   


शिव की परिक्रमा पूरी न करे---
शिव जी की परिक्रमा पूरी नही की जाती है। शास्त्रों में आधी परिक्रमा का ही उल्लेख मिलता है।  

नारियल पानी---
नारियल पानी से शिवलिंग का जलाभिषेक  नहीं करना चाह‌िए क्योंक‌ि नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसल‌िए सभी शुभ कार्य में नारियल को  प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है। लेक‌िन श‌िव पर अर्पण करने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है।



उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखने पर आप शिव की कृपा अति शीघ्र प्राप्त कर सकते है। चूँकि भगवान शिव देवो के देव है और सबसे अधिक भोले है इसलिए उनको प्रसन्न करना भी बहुत आसान है। अतः ऊपर लिखी बातो को अपनाकर भगवान शिव की नित्य आराधना से आप जल्दी ही अपनी मनोकामनाओ को परिपूर्ण कर  सकते है।  

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