बातचीत की कला- Batchit Ki Kala Essay in hindi

जाने - बात करने की कला / टिप्स प्रभावी बोलने की कला, बात करने का ढंग / हुनर, बातचीत करने का तरीका, बातचीत कैसे करे !!


बातचीत करने का तरीका--

  बातचीत करना भी एक कला है। यह तो आपने देखा ही होगा कि कुछ लोग इतने अच्छे ढंग से बात करते है कि उनकी सभी बातें अच्छी और सच्ची लगती है।और कई लोगो का लहजा इतना खराब होता  है कि वो हमारे भले के लिए भी कहे तो भी उसमे बुराई ही नजर आती है। अतः अगर आप जिंदगी में सफल होना चाहते है और अपने व्यक्तित्व की गहरी छाप लोगो पर छोड़ना चाहते है तो आपको बातचीत करने में कुशलता हासिल करनी होगी। एक अच्छा वार्ताकार बनना उतना भी कठिन नहीं होता है जितनी कि आपने उसके कठिन होने की कल्पना की हो,  इसके लिए बस थोड़े से अभ्यास की आवश्यकता पड़ती है।

नीचे दी गई वीडियो को ध्यान से देखें क्योंकि ये महत्त्वपूर्ण टिप्स है |

वीडियो पूरा देखें (सब कुछ अंत तक देखें) Click Below Video- 




बातचीत करने में आपको पारंगत करके आपके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए ही हम आज का  लेख लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए है जिससे आप किसी भी पार्टी ,सामाजिक समूह या फ़ोन पर बातचीत करने में सहज महसूस कर सकेंगे और अपनी बात को प्रभावशाली ढंग से दूसरों  के सामने प्रस्तुत कर पाएंगे।  


बातचीत कौशल के रास्ते में रुकावट---

                                                   बातचीत का कौशल बढ़ाने के लिए सबसे पहले अपने स्वयं के विषय में यह निर्धारित  कीजिये कि यदि आपको किसी अजनबी से बात करनी पड़ जाये तो आप कैसा महसूस करते है। क्या आसानी से आप उस अजनबी से  बात कर पाते है या असहज महसूस करते है।क्योंकि कुछ ऐसे भी लोग होते है जिनको किसी अजनबी से बात करने के ख्याल से ही घबराहट होने लगती है। इसकी दो वजह हो सकती है-----

1. शर्मीलापन---
कई लोगो में शर्मीलापन अधिक मात्रा में होता है। और अपनी इसी शर्म के कारण वो किसी दूसरे व्यक्ति खासकर किसी अजनबी से बात करते हुए हिचकिचाते रहते है। और बात शुरू कर  भी दे तो उनके सामने कुछ ज्यादा नही बोल पाते जिसके कारण बातचीत का सिलसिला सही क्रम में नही चल पाता और वातावरण बोझिल हो जाता है। और इसी कारण वो लोग हीन भावना के शिकार हो जाते है।

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2. आत्मविश्वास की कमी--
बातचीत करते समय आत्मविश्वास की कमी भी आपके व्यक्तित्व को निखरने नही देती है।आत्मविश्वास न होने पर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के सामने अपनी बात को प्रभावशाली ढंग  से नही रख पाता।  जिसके कारण उसकी बात को अधिक महत्व नही दिया जाता। और बातचीत करने का उदेश्य अधूरा ही रह जाता है। अतः यदि आपमें आत्मविश्वास नही है तो आप कभी किसी से भी अपनी बात  नही मनवा पाएंगे और आप जिंदगी के सफर में कही पीछे छूट जायेंगे।


बातचीत शुरू करते समय की चुनौतियां---

                                                                   जब हम किसी अजनबी से बातचीत करते है तो  हमारे सामने कई सवाल उभर कर  सामने आते है। बातचीत शुरू करने से पहले ही बार बार यही सोचते रहते है कि बात कैसे शुरू की जाए।‘आखिर मैं क्या बात करूँ? कहाँ से शुरू करूँ? बातचीत जारी कैसे रखूँ?’ अगर हमारे मन में किसी अजनबी से बात करने के लिए उससे मिलने से पहले मन में इन सवालो की उदेड बुन चले तो समझ लीजिये आपको अभी किसी अनजान से बातचीत करने में घबराहट होती है और आपको अपने बातचीत के कौशल को विकसित करने की बहुत अधिक आवश्यकता है।

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आत्मविश्वास की अधिकता या वाचाल होना भी है इस कौशल के मार्ग की बाधा---

                                                                                                                          यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में बोलता है और सामने वाले को बोलने का मौका ही नही देता या बहुत अधिक आत्मविश्वास के कारण  सामने वाले की बात ही नही सुनता तो यह भी एक कुशल बातचीत के मार्ग में रूकावट ही है।  यदि सामने वाला दूसरे की बात ही न सुने तो वह आपसे बात करते हुए कतराने लगेगा। यह भी आपके व्यक्तित्व के निखरने में रूकावट पैदा कर  सकती है।

 इसलिए, हम चाहे शर्मीले हों या मिलनसार, हममें से हरेक को बातचीत करने के कौशल को हमेशा बढ़ाते रहने की ज़रूरत है।बोलना और प्रभावशाली बोलना, एक कला है। और इस कला में पारंगत  होने के लिए कुछ प्रयास करने पड़ते हैं। मन में आए विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने और समझाने का माध्यम शब्द ही हैं। ऐसा कभी नही होता कि हमारे मन में जो-जो बातें आती हैं, हम उन सबको सामने वाले व्यक्ति के सामने बोलते जाते हैं।इस बात का निर्णय बुद्धि करती है कि हमे सामने वाले व्यक्ति के सामने क्या बोलना है और क्या नहीं।चाहे कितने भी विचार मन में आये,हम बोलते वही है जिसको हमारा दिमाग बोलने के लिए स्वीकृति प्रदान करता है।ऐसे बहुत सारे उपाय  हैं जिन्हे अपना कर आप व्यवहारिक रूप से किसी से भी बहुत अच्छी बातचीत कर सकते हैं।




एक कुशल बातचीत के तरीके और ध्यान रखने योग्य बातें -----



 बातचीत के लिए सही  समय का चुनाव------
किसी भी व्यक्ति से बातचीत करने के लिए समय का सही चुनाव करना अति आवश्यक है। यदि सामने वाला व्यक्ति किसी कार्य में व्यस्त है और उसका ध्यान कही ओर ही  है तो यह  सही समय नही है क्योंकि इस समय वह  आपकी बात को ध्यान से नही सुनेगा और न ही आपकी ओर  ज्यादा ध्यान दे पायेगा। अतः जब सामने वाला खाली और आरामदायक मूड में हो तभी आप अपनी बात का प्रभाव उसके दिमाग पर डाल  पाएंगे।

जैसे----
1. यदि आपको आपके बॉस से बात करनी है और वह पहले से ही किसी जरूरी मीटिंग या काम में उलझा हुआ है तो वह आपकी बात को ध्यान से सुने बिना ही आपको वहां  से भेजने की कोशिश करेगा। इस तरह से आपका मिलने का उद्देश्य और प्रभावपूर्ण ढंग से कही गयी बात भी निष्फल हो जाएगी।अतः जब आपके बॉस आरामदायक अवस्था में हो तब ही आप अपनी बात को उनके सामने रखे।

2. यदि आप अपने पति से कुछ खरीददारी या कुछ गहने खरीदने के लिए कहना चाहती है तो सही समय का चुनाव अति आवश्यक है। यदि  सुबह उठते ही कहना शुरू कर देगी या ऑफिस से आते ही कहेगी तो हो सकता है वो आपको मना कर दे। क्योंकि उस समय वो थके हुए और असहज हो सकते है और परेशान होकर आपकी बात को शायद नजरअंदाज कर  दे।  इसलिए उनको फ्रेश होकर थोड़ी एनर्जी लेने दीजिये और जब वो आरमदायक मूड में हो तब अपनी बात रखिये।  

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बातों का सिलसिला जारी रखने के लिए आस-पास की चीजो पर करे बात--
 यदि  किसी अजनबी से बातचीत शुरू कर  दे और फिर आपको यह समझ न आये कि आगे क्या बात की जाये तो आप आस-पास की चीजो को मुद्दा बनाकर बातचीत का क्रम जारी रख सकती है। इससे बातचीत भी जारी रहेगी और वातावरण भी सुरुचिपूर्ण बना रहेगा।

जैसे---
यदि आप किसी अजनबी से मिल रहे है और बातो का सिलसिला टूट रहा हो तो मौसम को लेकर बात शुरू की जा सकती है। जैसे आज मौसम कितना सुहाना है  न। या जैसे मुझे चाय की बजाय कॉफी ज्यादा पसंद है,आपको क्या पसंद है? इस तरह से बातो का सिलसिला भी जारी रहेगा और सामने वाले व्यक्ति से प्रश्न पूछते रहेंगे तो उसकी भी बातचीत में रूचि बनी रहेगी।



प्रशंसा करने से बातचीत बनती है रुचिपूर्ण--
यदि आप बातचीत के दौरान महत्वपूर्ण पहलुओ को ध्यान से सुनकर उनको सराहना देंगे तो सामने वाला बातचीत में दिल से शामिल होगा और आपकी बात को भी ध्यान से सुनेगा और बदले में आपको भी सराहना देकर बातचीत को प्रोत्साहित करेगा। अतः बातचीत के दौरान प्रशंसा करने से न चूके , यह आपकी बातचीत को सुरुचिपूर्ण बना देगा।
जैसे--
यदि आप अपने इंचार्ज से बात करते समय उनके द्वारा किये गए कार्यो या निर्देशो की प्रशंसा कर  दे तो वह  भी आपको ध्यान से सुनकर प्रोत्साहित करेगा। और आपके द्वारा  कार्यो पर ध्यान देकर उनको सराहना भी देगा। इसी सिलसिले से आप अपने इंचार्ज से सहज और मिलनसार भी हो जायेंगे और प्रशंसा भी मिलेगी।



सकारात्मक प्रश्न करे----
 बातचीत में अगर आप सहज और अपनापन लाना चाहते है तो सामने वाले व्यक्ति से सकारात्मक सवाल पूछ सकते है। एक कुशल बातचीत लिए प्रश्न पूछना सबसे अच्छे तरीकों में से एक है  जिससे चर्चा स्वाभाविक रूप से विकसित होती है।
 जैसे----
 सकारात्मक और खुले प्रश्न पूछें। यह कहने की बजाय कि, "कितना सुहाना दिन हैं, है ना?"यह कहें, "इस सुहाने मौसम का मजा लेने के लिए आप क्या प्लान कर रहे हैं?" पहले प्रश्न का जवाब देने के लिए सिर्फ एक हाँ या ना की जरूरत है, जो बातचीत को वहीँ समाप्त कर सकता है। जबकि दूसरे प्रश्न के लिए सामने वाला व्यक्ति आपको विस्तृत जवाब देगा। इसीलिए ऐसे प्रश्न पूछें जिनके जवाब देने के लिए एक से अधिक शब्द की आवश्यकता पड़े।



सामने वाले की बात को ध्यान से सुने और पूरा महत्व दे----
यदि आप अपनी बातचीत को कुशल और प्रभावशाली बनाना चाहते है तो अपनी बात को कहने के साथ साथ सामने वाले की बात को भी पूरी सक्रियता के साथ सुने और उसकी हर बात को भी उतना ही महत्व दे जितना की आपने अपनी बात को कहते हुए अपनी बात को महत्व  दिया था। इस तरह की बातचीत में दोनों तरफ से रूचि और जिज्ञासा बनी रहेगी।  
जैसे---
यदि  सामने वाला व्यक्ति खुद की या अपने बच्चे की किसी बीमारी का जिक्र आपके सामने करे तो आप पूरे  ध्यान से उसे सुने और फिर जो भी उपाय बता सके ,उनको बताये और यह भी  विश्वास दिलाये कि आपकी इस समस्या में मैं आपके साथ सहयोग करूँगा।इससे अपनापन बढेगा और बातचीत को भी कुशल बना सकेंगे।

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बातचीत में हाव भाव भी है महत्वपूर्ण--
बातचीत के दौरान उचित प्रतिक्रिया के साथ साथ उचित हाव-भाव भी अति आवश्यक है।  कई बार देखा गया है कि बातचीत के दौरान गलत हावभाव भी बातचीत को विफल बना देते है। चाहे आपने बात को कितनी भी ध्यान से सुना हो और अच्छा उत्तर भी दिया हो किन्तु गलत हाव-भाव से आपकी बातचीत का प्रभाव गलत भी पड़ सकता है।       .
जैसे---
यदि आप किसी से बात कर रहे है और उसकी आँखों में देखकर जवाब न देकर नीचे  तरफ या इधर-उधर देखकर जवाब दे रहे है तो सामने वाले को तो यही लगेगा की आपका ध्यान कही और है और बातचीत का सिलसिला वही खत्म हो सकता है।


बहस कभी न करे---
बातचीत के दौरान तर्क वितरक करे किन्तु बहस कभी न करे।  तर्क वितर्क का बात चीत में होना अति आवश्यक है , तर्क वितर्क से किसी विषय का सार्थक हल निकलता है । तर्क वितर्क करने से हमे कई नई जानकारी भी मिलती है ।  लेकिन अपनी बात पर अढ़े रहने से,जिद्द करने से बातचीत बहसबाजी का रुप ले लेती है । असल में बहस करना अहंकार की एक ऐसी लड़ाई है,  जिसमें  केवल एक दुसरे पर चिल्लाने की स्पर्धा होती है । बहस करने  से कई बार हमारे संबंध भी बिगड़ सकते  है । अतः बातचीत के दौरान अपनी बात पर अड़कर कभी बहस नही करनी चाहिए क्योंकि ये कुशल बातचीत के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।


आपकी भाषा सरल और स्पष्ट हो---
बातचीत को सार्थक बनाने के लिए और एक कुशल वक्ता  बनने के लिए भाषा का सरल और स्पष्ट होना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक आपकी भाषा सरल और स्पष्ट रूप से सामने वाले व्यक्ति को समझ नही आएगी तो आपकी बातचीत करने का कोई भी फायदा नही।  अगर बातचीत के दौरान आपकी भाषा सरल और स्पष्ट नही है तो अर्थ का अनर्थ ही बन जाता है। अपने वक्तव्य में जानबुझ कर कभी भी कठिन और क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । इसलिए बातचीत को सफल बनाने के लिए हमेशा सरल और स्पष्ट शब्दों का ही चयन करना चाहिए।

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